रौद्र रस का एक उदाहरण लिखिए।
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रौद्र रस का एक उदहारण :-
“ रे ! बालक काल बस बोल्त तो ही न संभार ”
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रौद्र रस - काव्य में जहाँ क्रोध नामक स्थायी भाव विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट होता हुआ रस दशा को प्राप्त होता है, वहाँ रौद्र रस होता है।
उदाहरण-
१. सुनत लखन के वचन कठोरा।
परशु सुधारि धरेउ कर धीरा।
अब जति देउ दोष मोहि लोग।
कटु वादी बालक बध जोगू॥
२. श्रीकृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शील अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।
संसार देख अब हमारे, शत्रु रण में मृग पड़े।
करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े॥
३. उबल उठा शोणित अंगों का, पुतरी में गहरी लाली।
काली बनी स्वयं वह बाला, अलक-अलक विषधर काली॥
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