रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित
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इसका स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
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किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि के उत्पन्न भाव की परिपक्व अवस्था को रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
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