Hindi, asked by rajender0084, 18 days ago

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार ।रहिमन फिर-फिर पोइये, टूटे मुक्ताहारll​

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Answered by Vaish2934
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इस दोहे का अर्थ है कि जीवन में सज्जन व्यक्ति यदि आप से रूठ जाएँ तो उनको मनाना चाहिए. यदि वो आपसे सौ बार भी रूठें तो भी उनको मनाइए उसी प्रकार जिस प्रकार टूटे हुए बहुमूल्य मुक्ता हार के रत्नों /मोतीयों को पुनः पिरोकर हार बनाते हैं. अर्थात सज्जन व्यक्ति आपके जीवन में मुक्त हार के मोतियों के समान हैं.

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