रूठे सुजन मनाईये जो रूठे सौ बार । रहिमन फिरि - फिरी पोहिए टूटे मुक्ताहार ।।
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रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार ।
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार ।।
इस दोहे में रहीम जी हमे यह समझाना चाहते है ,
यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठ जाता है तो हमें अपने प्रिय को मनाना चाहिए| जिस प्रकार मोतियों की माला टूट जाती पर हम बार-बार इन मोतियों को धागों में पिरो देते है| हमें अपने प्रिय रिश्तों को नहीं खोना चाहिए | रिश्तों के टूटने पर भी उन्हें जोड़ने का प्रयास करना चाहिए | जिस प्रकार हम माला के मोतियों को जोड़ देते है | अच्छे दोस्त और सच्चे रिश्ते एक ही बात मिलते है ,हमने माफ़ करके उन्हें सुधार लेना चाहिए |
Ur answer is here.....!!!!!
Plz Mark as brainliest....!!!!
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toh phir..ek follow..krrdoo plz..
kyuki i am..also following..u
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