Hindi, asked by Tusharsahu1208, 6 months ago

रैदास के पद के अनुसार ईश्वर की भक्ति की तुलना चांद चकोर से क्यों करता है?​

no spamming I will report.

Answers

Answered by acamateur
1

Answer:

उसी प्रकार रैदास भी प्रभु रूपी चाँद को एकटक निहारना चाहते हैं इसलिए एक क्षण के लिए भी उनका ध्यान प्रभु भक्ति से नहीं हटता।। (ग) जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। अर्थात् कवि स्वयं को बत्ती और प्रभु को ऐसा दीपक मानते हैं, जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है, यानी रैदास जी दिन-रात प्रभु की भक्ति से आलोकित रहना चाहते हैं।

Similar questions