Hindi, asked by kuljitkaur1982, 1 month ago

रैदास के पदों में जिन संतों कवियों का परिचय दिया गया है उनके चित्रों के साथ संक्षेप में उनके परिचय पर आधारित पावर पॉइंट प्रस्तुति तैयार कीजिए जैसे नामदेव, सधना, सैनु, नामदेव, तिलोचन |


please answer properly with pics of sant
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Answers

Answered by amishafilomeena1003
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Answer:

कवि रैदास ने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना और सैन का उल्लेख अपने काव्य में किया है। इसके उल्लेख के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि उसके प्रभु गरीबों के उद्धारक हैं। उन्होंने गरीबों और कमज़ोर लोगों पर कृपा करके समाज में ऊँचा स्थान दिलाया है।

Explanation:

Hope this helps

Answered by kjuli1766
4

उत्तर :

इस प्रश्न का उत्तर निम्नलिखित है

व्याख्या:

1)नामदेव

नामदेव भारत के प्रसिद्ध संत थे।  नामदेव का जन्म (शके ११९२) में महाराष्ट्र के सातारा जिले में कृष्णा नदी के किनारे बसे नरसीबामणी नामक गाँव में एक शिंपी जिसे छीपा भी कहते है के परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दामाशेट और माता का नाम गोणाई देवी था। इनका परिवार भगवान विट्ठल का परम भक्त था। नामदेव का विवाह राधाबाई के साथ हुआ था और इनके पुत्र का नाम नारायण था।

सन्त नामदेव के समय में नाथ और योगपरक साधना का समर्थक तथा बाह्याडंबरों का विरोधी था और महानुभाव पंथ वैदिक कर्मकांड तथा बहुदेवोपासना का विरोधी होते हुए भी मूर्तिपूजा को सर्वथा निषिद्ध नहीं मानता था।

2) सधना

वो  कवि, संत, सूफ़ी और भक्तों में से एक जिनकी रचना गुरु ग्रन्थ साहिब में शामिल किये गये हैं। वो पंजाब क्षेत्र में मुख्यतः सिख और रविदासिया लोगों में पूज्य माने जाते हैं। इन धर्मों के प्रचारक उनके भक्ति भजनों को उद्धृत करते हैं। उनका एक भजन राग बिलावल में आदि ग्रन्थ साहिब में उपस्थित है।

4) रैदास (जन्म वि. 1445 सन् 1388 ई.)

कबीर के समकालीनों में रैदास अथवा रविदास उल्लेखनीय है। वे जाति के चमार थे और उनके परिवार के लोगों 'ढोरों को ढ़ोने' का कार्य करते थे। वे एक महान संत और उदार व्यक्ति थे। उनकी रचनाएं फुटकर रूप में मिलती है। कवि के रूप में उनकी रचनाओं में गहरी भगवत भक्ति के दर्शन होते हैं। एकांत निष्ठा, मानवीय प्रेम और आत्म समर्पण की भावना से ओतप्रोत उनकी वाणी आज भी भक्तों का कंठहार बनी हुई है।

5) धर्मादास

धर्मदास कबीर पंथ की छत्तीसगढ़ी शाखा के प्रवर्तक बताए जाते हैं। वे कबीर के प्रमुख शिष्य थे। उनकी रचनाएं भक्ति भाव से ओतप्रोत है । उनके फुटकर छंद भिन्न-भिन्न संग्रहों में उपलब्ध होते हैं ।

#SPJ2

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