रैदास की पदों में की गई upmao में से किसी एक उपमा का वर्णन कीजिए
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जन्मदिन
क्यों रैदास को भारत की समन्वयवादी संत परंपरा का शिरोमणि कहा जाता है
भारत के किसी भी संत को शायद ही इतने अलग-अलग नामों से पुकारा गया होगा, जितना कि रैदासजी को
अव्यक्त
19 फरवरी 2020
एएफपी
आज संत रैदास की जयंती है. भारत के किसी भी संत को शायद ही इतने अलग-अलग नामों से पुकारा गया होगा, जितना कि रैदासजी को. पंजाब के लोगों ने अपने उच्चारण की सहजता में उन्हें रविदास कहा. ‘आदि ग्रंथ’ या गुरु ग्रंथ साहिब में जहां कहीं भी उनके पद संकलित हैं, वहां उनका नाम ‘रविदास’ ही लिखा गया है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से ही जाना जाता है. गुजरात और महाराष्ट्र के लोग उन्हें ‘रोहिदास’ के नाम से पुकारते हैं, और बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ कहते हैं. कई पुरानी पांडुलिपियों में उन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी देखा गया है. इसका एक मुख्य कारण यह भी कहा जा सकता है कि भक्ति और मुक्ति का प्रतीक बन चुके रैदास को अलग-अलग भाषा-भाषियों ने इतने अपनापन से आत्मसात किया कि उन्होंने उनके नाम तक को अपने अनुरूप ढाल लिया.
कहते हैं कि जिस तरह चंद्रमा अपनी कलाएं बदलते-बदलते पूर्णिमा के दिन जाकर पूर्ण हो जाता है, उसी तरह साधक भी साधना करते-करते एक दिन पूर्णता और समता को प्राप्त करके संत बन जाता है. यह भी एक कारण हो सकता है कि भारतीय परंपरा में संतों और बुद्धों के जन्म और मरण को प्रायः पूर्णिमा से जोड़ा जाता है. कबीर, नानक और गौतम बुद्ध का जन्मदिन हम खास महीनों की पूर्णिमा को ही मनाते हैं. संत रैदास के जन्म के बारे में भी ऐसा ही है. उनके जन्म का ठीक-ठीक साल और उसकी तारीख हमें मालूम नहीं है. लेकिन इतना जरूर माना जाता है कि माघ महीने की पूर्णिमा को उनका जन्म हुआ था
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I DONT KNOW YOU KNOW PLESE GIVE ANSWER