रैदास के पदों में कौन सी भाषा का प्रयोग किया गया है? 1 मैथिली 2 अवधि 3 ब्रज मिश्रित सधुक्कडी 4 राजस्थानी
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रैदास ने अपनी काव्य-रचनाओं में सरल, व्यावहारिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है, जिसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी मिश्रण है। रैदास को उपमा और रूपक अलंकार विशेष प्रिय रहे हैं। सीधे-सादे पदों में संत कवि ने हृदय के भाव बड़ी स़फाई से प्रकट किए हैं।
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रैदास जी की पदों में ब्रज मिश्रित भाषा का प्रयोग किआ गया है ।
- उनके रचनाओं में ब्रज, राजस्थानी, भोजपुरी, फ़ारसी, अवधि, अवं पंजाबी का भी प्रयोग किया गया है। इनकी भाषाशैली बहुत ही सहज और सरल है।
- वे अपने मन की सारी पीड़ा और दुःख- दर्द का संगम करके एक कविता बना देते जिसे ईश्वर को समर्पित कर देते।ये ही उनकी कविताओं की सबसे ख़ास विशेषता है।
- रैदास जी का जन्म १३९८ इ में हुआ था कशी उत्तर प्रदेश में। इनके पिता का नाम संतोषदास था और माँ का नाम कलसा देवी था। रैदास जी ने गुरु रामानंद के पाठशाला में अपनी शिक्षा प्राप्त की थी और वही से उनके काव्य की शुरुवात हुई।
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