रैदास कैसे भक्ति करना चाहते हैं
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रैदास की भक्ति सेवक और मालिक के समान है। जिस प्रकार सेवक मालिक की सेवा करना अपना धर्म मानता है। वैसे ही रैदास भगवान की सेवा करना अपना धर्म मानते हैं। उनकी भक्ति निश्चल, दृढ़ तथा निस्वार्थ है।
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रैदास की भक्ति सेवक और मालिक के समान है। जिस प्रकार
सेवक मालिक की सेवा करना अपना धर्म मानता है। वैसे ही
रैदास भगवान की सेवा करना अपना धर्म मानते हैं। उनकी
भक्ति निश्चल, दृढ़ तथा निस्वार्थ है।
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