Hindi, asked by upasnasolanki07, 8 months ago

रैदास की दास्य भक्ति से ज्या तात्पर्य है।
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Answered by Arpita1678
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Explanation:

दास्य भक्ति के अंतर्गत भक्त स्वयं को लघु, तुच्छ और दास कहता है तथा प्रभु को दीन दयालु, भक्त वत्सल कहता है। वे स्वयं को पानी और प्रभु को चंदन मानते हैं। ... वे प्रभु को गरीब निवाजु: निडर व दयालु कहते हैं ये सब दास्य भक्ति के भाव हैं।

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