रैदास के दूसरे पद का प्रतिपाद्य अपने शब्दों लिखिए
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Explanation:
इस पद में कवि भगवान की महिमा का बखान कर रहे हैं। कवि कहते हैं कि हे! मेरे स्वामी तुझ बिन मेरा कौन है अर्थात कवि अपने आराध्य को ही अपना सबकुछ मानते हैं। कवि भगवान की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि भगवान गरीबों और दीन-दुःखियों पर दया करने वाले हैं, उनके माथे पर सजा हुआ मुकुट उनकी शोभा को बड़ा रहा है। कवि कहते हैं कि भगवान में इतनी शक्ति है कि वे कुछ भी कर सकते हैं और उनके बिना कुछ भी संभव नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान् की इच्छा के बिना दुनिया में कोई भी कार्य संभव नहीं है। कवि कहते हैं कि भगवान के छूने से अछूत मनुष्यों का भी कल्याण हो जाता है क्योंकि भगवान अपने प्रताप से किसी नीच जाति के मनुष्य को भी ऊँचा बना सकते हैं अर्थात भगवान् मनुष्यों के द्वारा किए गए कर्मों को देखते हैं न कि किसी मनुष्य की जाति को। कवि उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिस भगवान ने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना और सैनु जैसे संतों का उद्धार किया था वही बाकी लोगों का भी उद्धार करेंगे। कवि कहते हैं कि हे !सज्जन व्यक्तियों तुम सब सुनो, उस हरि के द्वारा इस संसार में सब कुछ संभव है।