रैदास ने अपनी भक्ति - भावना को किस प्रकार प्रस्तुत किया है ?
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→ संत रैदास आचरण में मूलतः संत थे और साधना में लीन रहते थे। उनकी भक्ति सरल और सहज थी। आप पढ़ चुके हैं कि रैदास निराकर ब्रह्म में ही विश्वास रखते थे और उन्हें ही अपना ईश्वर मानते थे उन्होंने परमात्मा को क ष्ण, राम, गोविंद आदि के नाम से स्मरण किया।
ItzTragicGirl❣️
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