'रुदन में कितना उल्लास, कितनी शाँति,
कितना बल है। जो कभी एकांत में बैठकर
किसी की स्मृति, किसी के वियोग में
सिसक-सिसक कर और बिलख-बिलख कर
नहीं रोया, वह जीवन के ऐसे सुख से
वंचित है जिस पर सैकड़ों हँसियाँ न्यौछावर
है। हँसी के बाद मन खिन्न हो जाता है,
आत्मा क्षुब्ध हो जाती है। रुदन के पश्चात
एक नवीन स्फूर्ति, एक नवीन जीवन, एक
नवीन उत्साह का अनुभव होता है।"
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Dil ke ehsas. रुदन में कितना उल्लास,कितनी शांति,कितना बल है। जो कभी एकांत में बैठकर,किसी की स्मृति में,किसी के वियोग में,सिसक सिसक और बिलख बिलख कर नही रोया,वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित है,जिस पर सैंकड़ो हंसिया न्योछावर है। उपन्यास सम्राट "मुंशी प्रेमचंद" जी के जन्म उत्सव पर शत शत नमन।
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कविता किसने लिखी?
दी गई कविता प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है
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