राधा कृष्ण के अनुसार भारतीय संस्कृति की आत्मा क्या है
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तुलसीपुर (बलरामपुर) : नई बाजार में रामजानकी मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कृष्ण के विवाह का प्रसंग सुनने के लिए सैकड़ों श्रोता उमड़ पड़े। इस दौरान राधा कृष्ण की अप्रतिम झांकी ने लोगों का मन मोह लिया।
कटनी मध्य प्रदेश के चकाचक आश्रम से पधारे कथावाचक पंडित रविशंकर द्वारा कही जाने वाली कथा ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने विवाह के बारे में विस्तार से लोगों को बताते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा में आया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने 16108 पत्िनयों से विवाह किया था। उन्होंने बताया कि वेद में 16108 सूक्तियां भी हैं। इन सभी लोगों को एक बार भैंसासुर राक्षस ने बंदी बना लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने सबको उनसे मुक्त कराया तथा उन्हें घर जाने के लिए कहा, परंतु उन सभी ने भगवान से प्रार्थना की वे कहां जाएंगी। समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगी। इसलिए वे उनके साथ रहना चाहती है। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना लिया। कथावाचक रविशंकर ने विवाह की महत्व बताते हुए कहा कि विवाह भारतीय संस्कृति में संस्कार माना गया है। शरीर, मन व आत्मा का मेल होता है। कुछ दिन बाद जब शरीर की आवश्यकता खत्म हो जाती है तो मन और आत्मा से संबंध हो जाता है। जो दीर्घकाल तक चलते हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान कृष्ण की जो मानव लीला हुई वह समाज को शिक्षा और आदर्श स्थापित करने के लिए हुई। कथा के दौरान सैकड़ों श्रोता उपस्थित रहे। आयोजक मुरलीधर राधेश्याम ने बताया कि इस आयोजन का समापन 13 मार्च को होगा। मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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