Hindi, asked by guptadhruv829, 1 year ago

रूढ़ियाँ समाज की प्रगति में बाधक -विषय पर 100-150 शबदो मे अनुचछेद लिखो​

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Answered by bhatiamona
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Answer:

                          रूढ़ियाँ समाज की प्रगति में बाधक

हमारे समाज की कुछ रूढ़ियाँ और परम्पराएँ ऐसी है बनाई जिसके कारण मनुष्य का जीवन नरक बन जाता है | जैसे हम बात करें बाल-विवाह, सती प्रथा, लड़कियों से भेदभाव, अस्पृश्यता, दहेज़ प्रथा जैसी रूढ़ियाँ और परम्पराएँ हमारे समाज का एक हिस्सा बन गई जिसके कारण हमारा समाज  प्रगति नहीं कर पा रहा है | इन सब बातों को लेकर आज भी पिछड़ा हुआ है | लोग यह रूढ़ियाँ और परम्पराएँ खत्म ही नहीं करना चाहते  , और जो लोग इसके खिलाफ खड़ा होता उसे या तो बहार निकाल दिया हटा या मार दिया जाता है |

कुछ  परम्पराओं के कारण लकड़ियों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता , कई लोग उन्हें पैदा नहीं होने देते | बाल-विवाह के कारण भी बहुत सारी  लकड़ियों का जीवन बरबाद हो जाता है | यही सब कारण है की हमारा समाज आगे नहीं बढ़ पा रहा है | हमें यह सब नष्ट करने की कोशिश करनी चाहिए ताकी हमारा समाज आगे बढ़े |

Answered by TheBandits
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सामाजिक कुरीतियां समाज, देश व प्रदेश की प्रगति में बाधक है। इसलिए इन्हे समाप्त करने के लिए आमजन को आगे आना चाहिए और सरकार व प्रशासन को सहयोग देना चाहिए। यह बात उपायुक्त विकास गुप्ता ने लोगों को रूढि़वादी विचारधारा व प्राचीन मानसिकता में बदलाव लाने का आह्वान करते हुए कही।

उपायुक्त ने कहा कि आज लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नही है। इसलिए समाज की पुरानी मानसिकता को त्याग कर लड़कियों को लड़कों के बराबर समझना चाहिए तथा उन्हे शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के समान अवसर देने चाहिए। उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा व कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियां समाज पर धब्बा है। सरकार व जिला प्रशासन द्वारा इन्हे प्रभावी ढग से रोकने के लिए कडे़ कदम उठाए जा रहे है परतु लोगों को जागरूक करके और सामाजिक अभियान चलाकर ही इस बुराई को समाप्त किया जा सकता है। उपायुक्त ने कहा कि प्रसव पूर्व लिंग जाच करवाना एक कानूनी अपराध है जिसके लिए कड़ी सजा व जुर्माने का प्रावधान है। हरियाणा सरकार द्वारा लड़कियों को परिवार व समाज में पूरा मान सम्मान दिलवाने व लड़के-लड़की के भेदभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से लाडली नामक योजना चलाई जा रही है। जिसके अंतर्गत दूसरी लड़की के पैदा होने पर प्रति वर्ष पाच हजार रुपये की राशि पाच वर्ष तक प्रोत्साहन स्वरूप देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में केवल लड़किया है ऐसे परिवारों के लिए लाड़ली सामाजिक सुरक्षा भत्ता योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत जिस परिवार में केवल लड़किया है ऐसे परिवार के दंपत्ति में से एक को 45 वर्ष की आयु में ही 500 रुपये प्रतिमास की दर से सम्मान भत्ता दिया जाएगा। उपायुक्त ने जिले के सभी बुद्धिजीवियों, सामाजिक व धार्मिक संगठनों सहित आमजन का आह्वान किया है कि वे कन्या भ्रूण हत्या व दहेज प्रथा सहित सभी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने में अपना सकारात्मक सहयोग दें।

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