रेवाड़ी बेचने वाला ईमानदार निकला कैसे
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मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई लघुकथा 'कश्मीरी सेब' में रेवड़ी वाला ईमानदार इस प्रकार निकला कि जब एक बार लेखक में मोहर्रम के मेले में एक रेवड़ी वाले खोमचे वाले से एक पैसे की रेवड़ी ली और भूलवश एक पैसे की जगह अठन्नी दे दी।
घर आकर लेखक को अपनी भूल का पता चला तो वो वापस खोमचे वाले के पास गया लेखक खोमचे वाले से उम्मीद नही थी कि वो सच्चाई कबूल करके अठन्नी लौटा देगा। लेकिन लेखक ने जैसे ही अपनी भूल से अठन्नी देने की बात कही तो रेवडी वाले खुशी-खुशी वो अठन्नी लौटा दी और अपनी भूल के लिए क्षमा भी मांगी। इस तरह रेवडी वाला ईमानदार निकला।
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