रायगड की आत्मकथा इस विषय पर 15 से 20 पंक्तियों मे निबंध लिखिए. in hindi
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रायगड पश्चिमी भारत का ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के ठीक दक्षिण में महाराष्ट्र में स्थित है। यह कोंकण समुद्रतटीय मैदान का हिस्सा है, इसका क्षेत्र लहरदार और आड़ी-तिरछी पहाड़ियों वाला है, जो पश्चिमी घाट (पूर्व) की सह्याद्रि पहाड़ियों की खड़ी ढलुआ कगारों से अरब सागर (पश्चिम) के ऊँचे किनारों तक पहुँचता है।
यह किला सह्याद्री पर्वतरांग मे स्थित है. समुद्रतळ से ८२० मीटर (२७०० फुट ) कि उंचाई पर है. मराठा साम्राज्य पर उसकी एक खास पहचान है. छत्रपती शिवाजी महाराज ने रायगडकिले की विशेषता और स्थान ध्यान मे लेते हुये १७ वी सदि मे स्वराज्य की राजधानी इस किले को बनाई। दुर्ग एक बहुत ही शक्तिशाली दुर्ग है। छत्रपती शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भी यहीं पर हुआ था।
अंग्रेजों ने इस किले पर १८१८ मे कब्जा करनेके बाद किले को बहुत बुरी तरहसे नेस्तनाबूत किया भारी मात्रा मे किलेको नुकसान पहुँचाया। और वहाँ बहुत सारी लूट भी की।
आजकी तारीख मे ये किला महाराष्ट्र शासन के पुरातत्व विभाग मे संरक्षित स्मारक है। आज यहाँ पर भारी मात्रा मे हर रोज यात्री आते हैं।
किले पर देखने जैसे स्थान १. पाचाड का जिजाबाईंका बाडा :बुढ़ापे में जिजाबाई को किले की ठंडी हवा, वातावरण की परेशानी होने लगी इसलिए महाराजने उनके लिए पाचाड के पास एक बाडा बनाया। वो ये मासाहेबा का बाडा। बाडेकी व्यवस्था रखने के लिए कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की व्यवस्था भी महाराज ने की। सीढ़ियों का एक सुंदर कुआँ व जिजाबाई को बैठने के लिए पत्थर का आसन की व्यवस्था की गई है।‘तक्क्याची विहीर’
२. खुबलढा बुरूज : किले पर चढाई करते समय एक बुरुज की जगह दिखाई देती है। वो ही ये सुप्रसिद्ध खुबलढा बुरूज। बुरुज के पास ही एक दरवाजा था, उसे ‘चित् दरवाजा’ कहते हैं। यह दरवाजा अब पूर्णरूप से उध्वस्त हुआ है।
३. नाना दरवाजा :इस दरवाजे को ‘नाणे दरवाजा’ एेसा कहा जाता है। नाना दरवाजा इसका अर्थ छोटा दरवाजा। इ.स. १६७४ मई महिने में राज्याभिषेक के समय अंग्रेज वकील हेन्री ऑक्झेंडन इसी दरवाजे से आया था। इस दरवाजे को दो कमान है। दरवाजे के भीतरी बाजू में पहरेदार के लिए दो छोटे कमरे है। उसे देवडा कहते है।
४. मदारमोर्चा या मशीदमोर्चा : चित् दरवाजे से जाने पर आगे रस्तेपर एक सपाटी लगती है। इस खुली जगह के उपर पुरानी टुटी फुटी इमारत दिखाई देती है। उसमें से एक पहरेदार की जगह तो दूसरी ओर अनाज की कोठियाँ है। यहाँ मदनशहा नाम के साधूके शरीर के अवशेष तो एक ओर तोफ भी दिखती है। तसेच पत्थर से खोदी तीन गुहा दिखाई देती है।
५. महादरवाजा : महादरवाजे के बाहर की दोनों बाजू दो सुंदर कमलकृती है।दरवाजे पर रखे इन दो कमलो का अर्थं किले के अंदर ‘श्री और सरस्वती’ रह रही है।‘श्री आणि सरस्वती’ मतलब ‘विद्या और लक्ष्मी’ हे महादरवाजे को भव्य बुरूज है।एक ७५ फूट तो दूसरा ६५ फूट उंचा है।. तटबंदीमें जो उतरते छेद रखे होते है उसे ‘जंग्या’ कहते हैं। शत्रु पर हमला करने के लिए यह छेद रखे होते हैं। बुरुज में दरवाजा यह वायव्य दिशा की ओर खडा है। महादरवाजे से अंदर आने पर पहरेदार की देवडे दिखती है। साथ ही संरक्षण के लिए बनाए गए कमरे भी दिखाई देते है। महादरवाजे से दाईं ओर टकमक सिरे तक तो बाँई ओर हिरकणी सिरे तक तटबंदी बनाई गई है।
६. चोरदिंडी : महादरवाजे से दाँए ओर टकमक सिरेतक जो तटबंदी जाती है उस पर से चल कर जाने पर जहाँ ये समाप्त होती है उस के पास बुरूज में यह चोरदिंडी बांधी है। बुरुज के अंदर दरवाजेतक आने के लिए सीढियॉ है। हत्ती तलाव : महादरवाजा से थोडा आगे आनेपर जो तलाब दिखता है वह हाथी तलाव है। गजशाला से आने वाले हाथी के स्नान के लिए और पिने के लिए इस तलाब का उपयोग होता था।
८. गंगासागर तलाव : हाथी तालाब के पास ही रायगड जिला परिषद की धर्मशाला की इमारते दिखाई देती है। धर्मशाला से दक्षिणे की ओर अंदाजे ५० -६० कदम चलते गए ते जो तालाब आता है वो गंगासागर तालाब है।महाराज के राज्याभिषेक के बाद सप्तसागर और महाना ने लायी तीर्थे इसी तालाब में डाली जाती है। इसलिए इसका नाम गंगा सागर एेसा पडा है।शिवाजी महाराजा के समय शिबंदी के लिए इसका पानी उपयोग में लाया जाता था।
९. स्तंभ : गंगासागर के दक्षिण दिशा में दो ऊँचे मनोरे दिखाई देते है। उसे ही स्तंभ कहते हैं। जगदीश्वर के शिलालेख में जिस किया गया है, वो ये ही हो सकते हैं। वो पहले पाच मजिंला थे। ऐसा कहते हैं। वो द्वादश कोण में होकर बनाते समय ही इस पर कलाकृती की है।
१०. पालखी दरवाजा : स्तंभा के पश्चिम भाग पर ३१ सीढियॉ बनाई गई है। वो चढ़नेपर जो दरवाजा लगता है वो पालखी दरवाजा है। इस दरवाजे से बालेकिले में प्रवेश कर सकते हैं।
११. मेणा दरवाजा : पालखी दरवाजे से ऊपर प्रवेश किया तो चढउतार करनेवाला एक सीधा मार्ग यह मेणा दरवाजे तक ले जाता है। दाएँ हात की ओर जो सात अवशेष दिखते है वो रानियों के महल है। मेणा दरवाजे से बाले किले में प्रवेश करने की सुविधा उपलब्ध है।
१२. राजभवन : राणीवश के सामने बॉेए हात पर दासदासी के मकान के अवषेश दिखाई देते है। इन अवशेषाे के पीछे दूसरी जो समांतर दिवार है उस दिवार के मध्यभाग में दरवाजे से बालेकिले के अंतर्भाग में प्रवेश किया कि जो प्रशस्त चौक लगता है वो ही महाराज का राजभवन है। राजभवन का चौक ८६ फूट लंबा और ३३ फूट चौडा है। १३. रत्नशाळा : राजप्रसादा के पास स्तंभ के पूर्व की ओर की खुली जगह पर एक तलघर है वो ही रत्नलीला है। खलबतखाना मतलब गुप्त बातें करने के लिए बनाया गया कमरा है ऐसा कहा जाता है। १५. नगारखाना : सिंहासन के सामने जो भव्य प्रवेशद्वार दिखाई देता है वही ये नगारखाना है। और यह बालेकिले का मुख्य प्रवेश द्वार है। नगारखाने से सीढियॉ चढकर ऊपर गया तो वह किले के सर्वाधिक उंचे स्थान पर पहुंचता है।
रायगड की आत्मकथा इस विषय पर 15 से 20 पंक्तियों मे निबंध लिखिए.
रायगड किला महाराष्ट्र के जिले महाड पहाड़ी पर बना है| यह किला बहुत ही महशूर और ऐतिहासिक है| यह किला भारत के सबसे ऊंचे किलों में से एक है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनाया गया है| किले तक कने के लिए 1737 सीढ़ियां है , केलिन आज के समय में रोपवे का भी इस्तेमाल किया जाता है|
रायगढ़ किले को दूर-दूर से लोग देखते और घूमने आते है| इस किले के अंदर ही बहुत बड़ा बाजार है जहाँ पर तरह-तरह की दुकाने मौजूद है, यहाँ से पर्यटक अपनी आवश्कताओं की वस्तुएं आसानी से खरीद सकते है।