रायगढ़ किले की आत्मकथा
Answers
Explanation:
रायगढ़ दुर्ग, महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड में पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध दुर्ग है। इसे छत्रपति शिवाजी ने बनवाया था और १६७४ में इसे अपनी राजधानी बनाया।
Answer:
भारत कई महान और शक्तिशाली साम्राज्यों का निवास स्थान रहा है, जिन्होंने भारत के कई क्षेत्रो में विभिन्न प्रकार के किलो और महलो का निर्माण करवाया है। यह किले भारतीय इतिहास को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखते हुये आज भी अपना अस्तित्व बनाए हुये है। भारत के सबसे ऐतिहासिक और महान किलों में से एक रायगढ़ किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है, यह किला भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का सर्वोच्च उदाहरण है।छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष 1656 ई. में जवली के राजा चंद्राराव मोर के किले को अपने कब्जे में कर लिया था और उनके किले “रैरी” का पुनर्निर्माण और विस्तार कर इसका नाम बदलकर रायगढ़ रखा जिसके बाद यह मराठा साम्राज्य की राजधानी बन गया था। इस किले के आधार पर ही पाचाड और रायगढ़वाड़ी के गांव आज भी अपना अस्तित्व बनाए हुये है, यह दोनों गाँव मराठा शासन के दौरान बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते थे। इस किले को राजा चंद्राराव मोर से छिन्न के बाद, छत्रपति शिवाजी महाराज ने रायगढ़ से 2 मील दूर एक और किला लिंगाना बनाया, जिसे कैदियों को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस किलो को शिवाजी महाराज के बाद कई साम्राज्यों ने अपने कब्जे में ले लिया था जिसमे प्रसिद्ध मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य सम्मिलित थे।भारत के सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक किलो में से एक रायगढ़ किले का सर्वप्रथम निर्माण वर्ष 1030 ई. में मौर्य राजा चंद्रराव मोरे द्वारा करवाया गया था।
राजा चंद्रराव मोरे की मृत्यु के उपरांत यहाँ पर कमजोर शासको का शासन शुरू हो गया था, जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 1656 ई. के आसपास मराठा साम्राज्य के राजा शिवाजी महाराज ने इस किले पर अपने अधीन कर कुछ वर्षो के लिए इसे अपना निवास स्थान बना लिया था।
शिवाजी महाराज ने कुछ समय बाद इसमें कुछ सुधार और इसका पुनर्निर्माण करवाया था, जिसके बाद इसका नाम बदलकर रायगढ़ रखा दिया था। वह इस किले से इतने भावनात्मक रूप से जुड़े हुये थे की उन्होंने वर्ष 1674 में इसे अपने राज्य की राजधानी तक बना दिया था।
वर्ष 1689 ई. में इस किले पर प्रसिद्ध मुगल साम्राज्य के क्षेत्रीय कर्मचारी जुल्फखार खान ने अपना आधिपत्य स्थापित कर यहाँ से मराठाओं को उखाड़ फेंका और इसका नाम बदलकर “इस्लामगढ” रख दिया था। जुल्फखार खान के बाद इस किले पर सिद्धि फथेखान ने कब्जा कर लिया और 1733 ई. तक इसकी सारी की सारी गतिविधियों को अपने नियन्त्रण में रखा था।
वर्ष 1765 ई. में महाराष्ट्र के दक्षिणी में स्थित सिंधुदुर्ग जिले में मालवान के साथ-साथ रायगढ़ का किला को भी ब्रिटिशो द्वारा चलाये गये एक सशस्त्र अभियान का सामना करना पड़ा था, जिस कारण इस किले को काफी क्षति उठानी पड़ी और इसके कई प्रमुख इमारते नष्ट हो गई थी।
वर्ष 1818 में इस किले पर ब्रिटिशो का आधिपत्य हो गया लेकिन उनके द्वारा पहले किए गए हमले में इस किले का काफी नुकसान हुआ था, जिस कारण इसका ज्यादातर भाग नष्ट हो गया था।
इस किले को मुख्यत: 6 मंडलों में विभाजित किया गया था, जिसके प्रत्येक मंडल में एक निजी आराम कक्ष भी बनाया गया था।
hope it helps you
Explanation: