History, asked by ujjwalk4623, 1 month ago

रैयतवार बंदोबस्त किसे कहते हैं​

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Answered by jiddiqueen456
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Answer:

रैयतवाड़ी व्यवस्था व्यवस्था में प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार भूमि का स्वामी होता था, जो सरकार को लगान देने के लिए उत्तरदायी होता था। भूमिदार के पास भूमि को रहने, रखने व बेचने का अधिकार होता था। भूमि कर न देने की स्थिति में भूमिदार को, भूस्वामित्व के अधिकार से वंचित होना पड़ता था।

Answered by freefireee
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रैयतवाड़ी व्यवस्था 1792 ई. में मद्रास प्रैज़िडन्सी के बारामहल जिले में सर्वप्रथम लागू की गई। थॉमस मुनरो 1819 ई. से 1826 ई. के बीच मद्रास का गवर्नर रहा। रैयतवाड़ी व्यवस्था के प्रारंभिक प्रयोग के बाद मुनरो ने इसे 1820 ई. में संपूर्ण मद्रास में लागू कर दिया। इसके तहत कम्पनी तथा रैयतों (किसानों) के बीच सीधा समझौता या सम्बन्ध था। राजस्व के निधार्रण तथा लगान वसूली में किसी जमींदार या बिचौलिये की भूमिका नहीं होती थी। कैप्टन रीड तथा थॉमस मुनरो द्वारा प्रत्येक पंजीकृत किसान को भूमि का स्वामी माना गया। वह राजस्व सीधे कंपनी को देगा और उसे अपनी भूमि के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता था लेकिन कर न देने की स्थिति में उसे भूमि से वंचित होना पड़ता था। इस व्यवस्था के सैद्धान्तिक पक्ष के तहत खेत की उपज का अनुमान कर उसका आधा राजस्व के रूप में जमा करना पड़ता था।

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