रैयतवारी और महलवारी सिस्टम क्या था और किसने लागू किया था?
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Explanation:
रैयतवाड़ी भू-राजस्व व्यवस्था में प्रत्येक पंजीकृत जमीन धारक को भू-स्वामी स्वीकार कर लिया गया। वह ही राज्य सरकार को भूमिकर देने के लिए उत्तरदायी था। इसके पास भूमि को बेंचने या गिरवी रखने का अधिकार था। इस व्यवस्था में भू-स्वामी को अपनी भूमि से उस समय तक वंचित नहीं किया जा सकता था जब तक कि वह समय पर भूमिकर देता रहता था। भूमिकर न देने की स्थिति में उसे भूस्वामित्व के अधिकार से वंचित कर दिया जाता था। चूंकि इस प्रकार की व्यवस्था में सरकार का सीधे "रैय्यत" से सम्पर्क था। इसलिए इस व्यवस्था को "रैयतवाड़ी व्यवस्था" नाम दिया गया। इस व्यवस्था के जनक "टॉमस मुनरो तथा कैप्टन रीड" थे। इस व्यवस्था में लगान की दर अस्थायी एवं परिवर्तनशील थी। यह व्यवस्था मद्रास, बम्बई, पूर्वी बंगाल, असम और कुर्ग क्षेत्र में लागू की गई। यह ब्रिटिश भारत के लगभग 51% भू-भाग पर लागू की गई।