Raat ka varnan Apne shabdon Mein kijiye in hindi
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रात
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सूर्य, चन्द्रमा एवं तारों का उदय तथा अस्त प्रकृति की नियमबद्धता का प्रमाण है। चन्द्रमा पृथ्वी का एक मास में एक चक्कर पूरा करता है। चन्द्रमा उदय तथा अस्त शनैः शनैः करता है। न तो एकदम पूर्णिमा (चाँदनी रात) होती – है और न ही अमावस्या (अँधेरी रात)। चाँदनी रात में चन्द्रमा की शोभा देखते ही बनती है। चारों ओर चन्द्र किरणों की उज्जवल तथा शीतल ज्योत्सना का साम्राज्य होता है। सम्पूर्ण जगत कांति से आलोकित हो जाता है। पूर गगन-मंडल में शुभ्रता छा जाती है। कवियों का हृदय तो जैसे चाँदनी रात की सुन्दरता देखकर मचल ही उठता है। वे तो अपनी सुध-बुध ही भूल जाते हैं।
सर-सरोवरों, झरनों, समुद्रों, नद-नदियों सभी में चाँदनी रात का दृश्य अत्यन्त विलक्षण तथा आकर्षक होता है। जल की स्वच्छ नीलिमा से चन्द्रमा की परछाई हिलोरे लेने लगती है। उपवन में विकसित फूल अपनी महक से वातावरण को और भी मादक बना देते हैं। चाँदनी रात में तो ताजमहल की सुन्दरता में जैसे चार चाँद लग जाते हैं। दूध से सफेद संगमरमर से निर्मित यह भव्य इमारत उज्जवल चाँदनी में जगमग-जगमग करती हुई बहुत ही सुन्दर । लगती है। कौन पत्थर दिल ऐसा होगा, जो ऐसी खूबसूरती का दीवाना न हो जाए। चाँदनी रात में नौका-विहार का अपना अलग ही आनंद है।
नदी तट का शान्त तथा शीतल वातावरण मन में आनंद के हिलोरे लेने लगता है। जल में प्रतिबिम्बित होते तारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वे सारे पानी के अन्दर घुसकर कुछ ढूँढ रहे हैं, लेकिन चाँदनी रात का दृश्य सबके लिए सब जगह सर्वप्रिय हो, ऐसा नहीं है। चौर्य-कर्मी ऐसी रात को अपना शत्रु मानते हैं, इसके अस्तित्व में वे अपने कर्म की सफलता में संदेह अनुभव करते हैं। इसी प्रकार विरह वेदना से पीड़ित नायिका को चाँदनी रात और भी संतप्त कर देती है।