Hindi, asked by ashamsangwan10p98at6, 1 year ago

RABINDRA NATHS STORIES IN HINDI IN ABOUT 150 TO 200 WORDS

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Answered by Anonymous
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रबीन्द्रनाथ टैगोर रबीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाने जाते थे और गुरुदेव के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। वो एक महान भारतीय कवि थे जिन्होंने देश को कई प्रसिद्ध लेखन दिया। बेशक, वो कालीदास के बाद एक महानतम कवि थे। आज, वो पूरी दुनिया में एक महानतम कवि और सभी जीवन काल के लेखक के रुप में प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर (पिता) और शारदा देवी (माता) के घर 1861 में 7 मई को कलकत्ता के जोर-साँको में एक अमीर और सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। 1875 में जब टैगोर 14 वर्ष के थे तभी इनकी माता का देहांत हो गया था। अपने शुरुआती उम्र में ही इन्होंने कविता लिखने में रुचि को विकसित कर लिया था। वो एक चित्रकार, दर्शनशास्त्री, देशभक्त, शिक्षाविद्, उपन्यासकार, गायक, निबंध लेखक, कहानी लेखक और रचनात्मक कार्यकर्ता भी थे।

उपन्यास और लघु कथा के रुप में उनका महान लेखन मानव चरित्र के बारे में उनकी बुद्धिमत्ता, गहरे अनुभव और समझ की ओर इशारा करता है। वो एक ऐसे कवि थे जिन्होंने देश को बहुत प्यारा राष्ट्रगान “जन गण मन” दिया है। उनके कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं: “गीतांजलि, आमार सोनार बांग्ला, घेर-बेर, रबीन्द्र संगीत” आदि। “गीतांजलि” के उनके महान अंग्रेजी संस्करण लेखन के लिये 1913 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो पहले भारतीय और पहले एशियाई थे जिनको ये सम्मान प्राप्त हुआ। वो 1902 में शांतिनिकेतन में विश्वभारती यूनिवर्सिटी के संस्थापक थे। जलियाँवाला बाग नरसंहार के ख़िलाफ़ एक विरोध में 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा दिये गये एक अवार्ड “नाइटवुड” को इन्होंने अपने देश और देशवासियों के प्रति अन्तहीन प्यार के कारण वापस कर दिया। इनका महान लेखन आज भी देश के लोगों को प्रेरणा देता है





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Answered by zainabkhan786
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रबीन्द्रनाथ ठाकुर (1861-1940) उन साहित्य-सृजकों में हैं, जिन्हें काल की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता। रचनाओं के परिमाण की दृष्टि से भी कम ही लेखक उनकी बराबरी कर सकते हैं। उन्होंने एक हज़ार से भी अधिक कविताएँ लिखीं और दो हज़ार से भी अधिक गीतों की रचना की। इनके अलावा उन्होंने बहुत सारी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक तथा धर्म, शिक्षा, दर्शन, राजनीति और साहित्य जैसे विविध विषयों से संबंधित निबंध लिखे। उनकी दृष्टि उन सभी विषयों की ओर गई, जिनमें मनुष्य की अभिरुचि हो सकती है। कृतियों के गुण-गत मूल्यांकन की दृष्टि से वे उस ऊँचाई तक पहुँचे थे, जहाँ कुछेक महान् रचनाकर ही पहुँचते हैं। जब हम उनकी रचनाओं के विशाल क्षेत्र और महत्व का स्मरण करते हैं, तो इसमें तनिक आश्चर्य नहीं मालूम पड़ता कि उनके प्रशंसक उन्हें अब तक का सबसे बड़ा साहित्य-स्रष्टा मानते हैं।हिंदी साहित्य मार्गदर्शन



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रबीन्द्रनाथ टैगोर की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ!!

 4  Nisheeth Ranjan  9/03/2016



रबीन्द्रनाथ ठाकुर (1861-1940) उन साहित्य-सृजकों में हैं, जिन्हें काल की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता। रचनाओं के परिमाण की दृष्टि से भी कम ही लेखक उनकी बराबरी कर सकते हैं। उन्होंने एक हज़ार से भी अधिक कविताएँ लिखीं और दो हज़ार से भी अधिक गीतों की रचना की। इनके अलावा उन्होंने बहुत सारी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक तथा धर्म, शिक्षा, दर्शन, राजनीति और साहित्य जैसे विविध विषयों से संबंधित निबंध लिखे। उनकी दृष्टि उन सभी विषयों की ओर गई, जिनमें मनुष्य की अभिरुचि हो सकती है। कृतियों के गुण-गत मूल्यांकन की दृष्टि से वे उस ऊँचाई तक पहुँचे थे, जहाँ कुछेक महान् रचनाकर ही पहुँचते हैं। जब हम उनकी रचनाओं के विशाल क्षेत्र और महत्व का स्मरण करते हैं, तो इसमें तनिक आश्चर्य नहीं मालूम पड़ता कि उनके प्रशंसक उन्हें अब तक का सबसे बड़ा साहित्य-स्रष्टा मानते हैं।


इसे भी पढ़ें : Best 25 Rabindranath Tagore Quotes In Hindi | रबीन्द्रनाथ ठाकुर के अविस्मरणीय विचार


महाकवि के रूप में प्रतिष्ठित रबीन्द्रनाथ ठाकुर भारत के विशिष्ट नाट्यकारों की भी अग्रणी पंक्ति में हैं। परंपरागत और आधुनिक समाज की विसंगतियों एवं विडंबनाओं को चित्रित करते हुए उनके नाटक व्यक्ति और संसार के बीच उपस्थित अयाचित समस्याओं के साथ संवाद करते हैं। परम्परागत संस्कृत नाटक से जुड़े और बृहत्तर बंगाल के रंगमंच और रंगकर्म के साथ निरंतर गतिशील लोकनाटक (जात्रा आदि) तथा व्यवसायिक रंगमंच तीनों संबद्ध होते हुए भी रबीन्द्रनाथ उन्हें अतिक्रान्त कर अपनी जटिल नाट्य-संरचना को बहुआयामी, निरंतर विकासमान और अंतरंग अनुभव से पुष्ट कर प्रस्तुत करते हैं। यही कारण है कि राजा ओ रानी (1889), विसर्जन (1890), डाकघर (1912), नटीरपूजा (1926), रक्तकरबी (लाल कनेर), अचसायत (1912), शापमोचन (1931) चिरकुमार सभा (1926) आदि उनकी विशिष्ट नाट्य-कृतियाँ ने केवल बंगाल में, बल्कि देश-विदेश के रंगमंचो पर अनगिनत बार मंचित हो चुकी हैं।

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