Hindi, asked by unn67, 1 year ago

Rabindranath Tagore jeevan parichay​

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Answered by harsh6767
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रबिन्द्र नाथ टैगोर भारत के सबसे प्रसिद्ध शख्श में से एक थे. उन्हें उनके पाठकों के दिमाग और दिलों पर अविस्मरणीय प्रभाव डालने के लिए कवियों का कवि एवं गुरुदेव भी कहा जाता था. रबिन्द्र नाथ टैगोर जी बंगाल की सांस्कृतिक दृष्टि में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. वे ऐसे भारतीय यहाँ तक कि गैर यूरोपीय व्यक्ति थे जिन्होंने साहित्य में पहला नॉबेल पुरस्कार जीता. वे न सिर्फ एक कवि या लेखक थे बल्कि वे साहित्य के युग का केंद्र थे जिन्हें भारत के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में जाना जाता था. ये अपनी कविताओं के साथ – साथ राष्ट्रगान रचियता के रूप में भी जाने जाते हैं. हमने इस लेख के माध्यम से इनके द्वारा किये गये कार्य, उपलब्धियां और इनके जीवन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी है.

इनका जन्म भारत के कलकत्ता शहर में जोरासंको हवेली में एक बंगाली परिवार में हुआ. यह हवेली टैगोर परिवार का पैतृक घर थी. ये अपने माता – पिता की आखिरी संतान थे. ये कुल 13 भाई बहन थे. उनके पिता एक महान हिन्दू दार्शनिक और ‘ब्राह्मो समाज’ के धार्मिक आंदोलन के संस्थापकों में से एक थे. इन्हें बचपन में रबि नाम से जाना जाता था. इनकी उम्र बहुत कम थी जब इनका अपनी माँ से साथ छूट गया. और पिता भी ज्यादातर समय घर से दूर रहते थे. इसलिए इन्हें घर की आया एवं घर के नौकरों द्वारा पाला – पोसा गया था. सन 1883 में उन्होंने 10 साल की उम्र की मृणालिनी देवी के साथ विवाह किया. इनके कुल 5 बच्चे हुए. सन 1902 में उनकी पत्नी की मृत्यु हुई. और अपनी माँ के निधन के बाद टैगोर जी की 2 बेटियों रेणुका और समिन्द्रनाथ का भी निधन हो गया.

टैगोर जी बहुत ही कम उम्र में बंगाल पुनर्जागरण का हिस्सा बने, जहाँ उनके परिवार की काफी सक्रिय भागीदारी रहती थी. टैगोर जी का पूरा परिवार एक उत्साही कला प्रेमी था. जो कि पूरे भारत में बंगाली संस्कृति और साहित्य पर उनके प्रभावशाली प्रभाव के लिए जाने जाते थे. इस तरह के परिवार में पैदा होने के बाद उन्होंने क्षेत्रीय लोक एवं पश्चिमी दोनों ही भाषाओँ में थिएटर, संगीत, और साहित्य की शुरुआत कर दुनिया को अपने आप से रूबरू कराना शुरू किया.

जब वे केवल 11 वर्ष के थे तो वे अपने पिता के साथ पूरे भारत का दौरा किया करते थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई विषयों में ज्ञान अर्जित किया. उन्होंने एक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत कवि कालिदास जैसे प्रसिद्ध लेखकों के कार्यों को पढ़ा और जाना. जब वे इस यात्रा से वापस लौटे तब उन्होंने सन 1877 में मैथिलि शैली में एक बहुत लंबी कविता का निर्माण किया. उन्हें कवि कालिदास जी के अलावा अपने भाई बहनों से भी प्रेरणा मिली, उनके बड़े भाई द्विजेन्द्र नाथ एक कवि एवं दार्शनिक थे. इनके साथ ही उनके दुसरे भाई सत्येन्द्र नाथ जी भी एक सम्मानजनक स्थिति में थे. उनकी एक बहन स्वर्नाकुमारी एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं. उन्होंने अपने बड़े भाई एवं बहनों से जिम्नास्टिक, मार्शल आर्ट्स, कला, शरीर रचना, साहित्य, इतिहास और गणित के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया था. यात्रा के दौरान जब वे अमृतसर में थे. तब उन्होंने सिख धर्म के बारे में जानने के लिए मार्ग प्रशस्त किया, उनके इस अनुभव ने उन्हें बाद में 6 कविताओं और धर्म पर कई लेखों को लिखने में मदद की.

हालाँकि टैगोर जी की अधिकांश शुरूआती शिक्षा घर पर ही पूरी हुई थी. किन्तु इनकी पारंपरिक शिक्षा एक इंग्लैंड के सार्वजनिक स्कूल ब्राइटन, ईस्ट ससेक्स से पूरी हुई. दरअसल उनके पिता चाहते थे कि रबिन्द्र नाथ जी बैरिस्टर बने, इसलिए उन्होंने उन्हें सन 1878 में इंग्लैंड भेजा. इंग्लैंड में उनके प्रवास के दौरान उन्हें समर्थन देने के लिए उनके साथ उनके परिवार के अन्य सदस्य जैसे उनके भतीजे, भतीजी और भाभी भी शामिल हो गये. इसके बाद में उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी के कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ वे कानून की पढ़ाई के लिये गए थे. किन्तु वे बिना डिग्री लिए इसे बीच में ही छोड़ दिए. और शेक्सपियर के कई कामों को अपने ही तरीके से सीखने की कोशिश करने लगे. वहां से वे अंग्रेजी, इरिश और स्कॉटिश साहित्य और संगीत के सार को सीखने के बाद भारत वापस लौट आये.

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Answered by arohi9
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