रचना के आधार पर वाक्य के भेदों की परिभाषा उदाहरण
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Rachna ke Aadhar Par Vakya Roopantar, Vakya ke Bhed (Types), Saral Vakya, Sanyukt Vakya, Mishrit Vakya Examples
रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण - वाक्य के भेद, साधरण वाक्य, सरल वाक्य, मिश्रित वाक्य, या संयुक्त वाक्य के उदाहरण
Rachna ke aadhar par Vakya Roopanta (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) - इस लेख में हम रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण के बारे में जानेंगे। इससे पहले लेख में हम रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
rachna ke adhar par
साधरण वाक्य या सरल वाक्य
जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है।
दूसरे शब्दों में - जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं।
इसमें एक 'उद्देश्य' और एक 'विधेय' रहते हैं।
जैसे-
बिजली चमकती है।
पानी बरसा।
इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य अर्थात कर्ता और विधेय अर्थात क्रिया है। अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं।
मिश्रित वाक्य
जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।
सरल शब्दों में - जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे 'मिश्रित वाक्य' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिन वाक्यों में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य हो और अन्य आश्रित (गौण) उपवाक्य हों तथा जो आपस में कि, जो, क्योंकि, जितना, उतना, जैसा, वैसा, जब, तब, जहाँ, वहाँ, जिधर, उधर, अगर/यदि, तो, यद्यपि, तथापि, आदि से मिश्रित (मिले-जुले) हों उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं।
जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य तथा एक गौण अथवा आश्रित उपवाक्य हो, तब मिश्र वाक्य बनता है।
जैसे-
मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।
सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि' तथा 'सफल वही होता है' मुख्य उपवाक्य हैं और 'भारत जीतेगा' तथा 'जो परिश्रम करता है' गौण उपवाक्य। इसलिए ये मिश्र वाक्य हैं।
संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।
दूसरे शब्दो में - जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।
सरल शब्दों में - जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे -
वह सुबह गया और शाम को लौट आया।
उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली।
संयुक्त वाक्य उस वाक्य-समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त हों। इस प्रकार के वाक्य लम्बे और आपस में उलझे होते हैं।
जैसे- 'मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरन्त डॉक्टर को बुलाना पड़ा।'
इस लम्बे वाक्य में संयोजक 'और' है, जिसके द्वारा दो मिश्र वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बनाया गया।
इसी प्रकार 'मैं आया और वह गया' इस वाक्य में दो सरल वाक्यों को जोड़ने वाला संयोजक 'और' है। यहाँ यह याद रखने की बात है कि संयुक्त वाक्यों में प्रत्येक वाक्य अपनी स्वतन्त्र सत्ता बनाये रखता है, वह एक-दूसरे पर आश्रित नहीं होता, केवल संयोजक अव्यय उन स्वतन्त्र वाक्यों को मिलाते हैं। इन मुख्य और स्वतन्त्र वाक्यों को व्याकरण में 'समानाधिकरण' उपवाक्य भी कहते हैं।
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Rachna ke Aadhar Par Vakya Roopantar, Vakya ke Bhed (Types), Saral Vakya, Sanyukt Vakya, Mishrit Vakya Examples
रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण - वाक्य के भेद, साधरण वाक्य, सरल वाक्य, मिश्रित वाक्य, या संयुक्त वाक्य के उदाहरण
Rachna ke aadhar par Vakya Roopanta (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) - इस लेख में हम रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण के बारे में जानेंगे। इससे पहले लेख में हम रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
rachna ke adhar par
साधरण वाक्य या सरल वाक्य
जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है।
दूसरे शब्दों में - जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं।
इसमें एक 'उद्देश्य' और एक 'विधेय' रहते हैं।
जैसे-
बिजली चमकती है।
पानी बरसा।
इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य अर्थात कर्ता और विधेय अर्थात क्रिया है। अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं।
मिश्रित वाक्य
जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।
सरल शब्दों में - जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे 'मिश्रित वाक्य' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिन वाक्यों में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य हो और अन्य आश्रित (गौण) उपवाक्य हों तथा जो आपस में कि, जो, क्योंकि, जितना, उतना, जैसा, वैसा, जब, तब, जहाँ, वहाँ, जिधर, उधर, अगर/यदि, तो, यद्यपि, तथापि, आदि से मिश्रित (मिले-जुले) हों उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं।
जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य तथा एक गौण अथवा आश्रित उपवाक्य हो, तब मिश्र वाक्य बनता है।
जैसे-
मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।
सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि' तथा 'सफल वही होता है' मुख्य उपवाक्य हैं और 'भारत जीतेगा' तथा 'जो परिश्रम करता है' गौण उपवाक्य। इसलिए ये मिश्र वाक्य हैं।
संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।
दूसरे शब्दो में - जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।
सरल शब्दों में - जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे -
वह सुबह गया और शाम को लौट आया।
उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली।
संयुक्त वाक्य उस वाक्य-समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त हों। इस प्रकार के वाक्य लम्बे और आपस में उलझे होते हैं।
जैसे- 'मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरन्त डॉक्टर को बुलाना पड़ा।'
इस लम्बे वाक्य में संयोजक 'और' है, जिसके द्वारा दो मिश्र वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बनाया गया।
इसी प्रकार 'मैं आया और वह गया' इस वाक्य में दो सरल वाक्यों को जोड़ने वाला संयोजक 'और' है। यहाँ यह याद रखने की बात है कि संयुक्त वाक्यों में प्रत्येक वाक्य अपनी स्वतन्त्र सत्ता बनाये रखता है, वह एक-दूसरे पर आश्रित नहीं होता, केवल संयोजक अव्यय उन स्वतन्त्र वाक्यों को मिलाते हैं। इन मुख्य और स्वतन्त्र वाक्यों को व्याकरण में 'समानाधिकरण' उपवाक्य भी कहते हैं।