रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद हैं
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क्रिया वाक्य को पूरा करती है। इसे वाक्य का 'विधेय' कहते हैं। क्रिया स्वयं वाक्य में किसी क्रिया के होने या होने का भाव बताती है। इसलिए जो किया या किया हुआ समझा जाता है, उसे 'क्रिया' कहा जाता है।
क्रिया दो प्रकार की होती है-
- अकर्मक क्रिया
- सकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया - जिस क्रिया में कोई क्रिया नहीं होती और न ही क्रिया का निषेध (आशा या इच्छा) होती है, अकर्मक क्रिया कहलाती है।
जैसे वह खेला! वह गया !
सकर्मक क्रिया - जिस क्रिया के करने का फल कर्ता पर नहीं बल्कि क्रिया (सुप्त या जागरण, उपस्थिति या अनुपस्थिति) पर पड़ता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण के लिए, वह फुटबॉल खेलता है!
रचना की दृष्टि से क्रिया के पाँच भेद है-
- सामान्य क्रिया
- यौगिक क्रिया
- संज्ञा क्रिया
- प्रेरक क्रिया
- पूर्ववर्ती क्रिया
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