रचनात्मक अभिव्यक्ति
पाठ के लेखक को देशाटन के प्रति रुचि विरासत में अपने पिता जी से मिली थी। क्या आपको भी कोई
रवि विरासत में मिली है अथवा आपने इसे स्वयं विकसित की है? अपनी रुचि के बारे में बताइए तथा इसकी
विशेषताओं का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
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Answer:
त्मक अभिव्यक्ति
पाठ के लेखक को देशाटन के प्रति रुचि विरासत में अपने पिता जी से मिली थी। क्या आपको भी कोई
रवि विरासत में मिली है अथवा आपने इसे स्वयं विकसित की है? अपनी रुचि के बारे में बताइए तथा इसकी
विशेषताओं का वर्णन संक्षेप में
Answer:
भारतीय धर्मनीति के प्रणेता नैतिक मूल्यों के प्रति अधिक जागरूक थे। उनकी यह धारणा थी कि नैतिक मूल्यों का दृढ़ता से पालन किए बिना किसी भी समाज की आर्थिक व सामाजिक प्रगति की नीतियाँ प्रभावी नहीं हो सकतीं। उन्होंने उच्चकोटि की जीवन-प्रणाली के निर्माण के लिए वेद की एक ऋचा के आधार पर कहा कि उत्कृष्ट जीवन-प्रणाली मनुष्य की विवेक-बुद्ध से तभी निर्मित होनी संभव है, जब सब लोगों के संकल्प, निश्चय, अभिप्राय समान हों; सबके हृदय में समानता की भव्य भावना जाग्रत हो और सब लोग पारस्परिक सहयोग से मनोनुकूल कार्य करें। चरित्र-निर्माण की जो दिशा नीतिकारों ने निर्धारित की, वह आज भी अपने मूल रूप में मानव के लिए कल्याणकारी है। प्राय: यह देखा जाता है कि चरित्र और नैतिक मूल्यों की उपेक्षा वाणी, बाहु और उदर को संयत न रखने के कारण होती है। जो व्यक्ति इन तीनों पर नियंत्रण रखने में सफल हो जाता है, उसका चरित्र ऊँचा होता है।
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