Hindi, asked by diwansinghdhanik, 9 months ago

रचनात्मक लेख
कामकाजी महिला की शाम​

Answers

Answered by bhatiamona
58

Answer:

आज के समय में महिला को पुरुष के समान पर्याप्त अधिकार मिलते जा रहे हैं और महिलाएं पुलिस के समान हर क्षेत्र में अपना भरपूर योगदान दे रही हैं, अतः कामकाजी महिलाओं की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है।

कामकाजी महिलाओं पर पुरुषों की अपेक्षा दोहरी जिम्मेदारी होती है, एक तो उन दिन भर अपने कार्यालय के काम का दबाब होता है, उसके बाद शाम को घर आकर उन पर अपने घर के काम का भी दबाव होता है। बहुत सी महिलाओं के पति और अन्य घरवाले सहयोगात्मक होते हैं, ऐसा हमेशा नहीं होता।

ज्यादातर महिलाओं को घर पर आकर घर के काम करने ही पड़ते हैं।  केवल उन महिलाओं को छोड़ दें जिन्होंने नौकर रखें है, तो लगभग हर कामकाजी महिला को घर पर आकर घर का काम करना ही पड़ता है। पुरुष अपनी पुरुषवादी मानसिकता में ही रहते हैं और घर के काम में महिलाओं के हाथ नहीं बटाते।

एक कामकाजी महिला सदैव अपने कार्यालय से सीधे घर लौटना पसंद करती है। घर पर उसके बच्चे उसकी प्रतीक्षा कर रहे होते हैं। ऐसे में बच्चों के बीच आकर कामकाजी महिला की सारी थकान मिट जाती है। तब तक उसके पति भी काम से वापस आया होता है तो कामकाजी महिला अपने पति के साथ मिलकर चाय पीती है और बच्चों से बतियाती है। इससे उनके घर का वातावरण हल्का-फुल्का हो जाता है।

फिर कामकाजी महिला अपना कामकाजी स्त्री का चोला उतार कर पूरी तरह गृहणी में परिवर्तित हो जाती है और एक घरेलू औरत बन जाती है। अब वो घर पर रात के भोजन आदि की तैयारी पूरी तरह लग जाती है अपने बच्चों की पढ़ाई संबंधी कार्यों को देखती है। बीच में यदि उसे समय मिलता है थोड़ा वक्त टीवी भी देख लेती है।

कामकाजी महिला की शाम अन्य कामकाजी लोगों की अपेक्षा अलग हटकर होती है क्योंकि उसे अपने घर की चिंता अत्याधिक रहती है। कुल मिलाकर एक कामकाजी महिला की शाम सदैव व्यस्तता भरी होती है और उसे दिन भर ऑफिस में कार्य करने के बाद भी अपने घर पर आकर कुछ ना कुछ करते रहना पड़ता है।

Similar questions