Hindi, asked by yashreetiwari, 5 months ago

रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता हेतु प्रधानाचार्य को निमंत्रण पत्र लिखिए​

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Answered by roshani911
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Answer:

thank goodness for your new Party

Answered by wachimsiddique33
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Answer:

औपचारिकपत्रान्तर्गतं सर्वकारकार्यालयैः व्यावसायिकसंस्थाभि: च कृत: पत्रव्यवहारः आयाति । शुभकामनापत्रं, निमन्त्रणपत्रं, शोकसंवेदनापत्रं, समस्यामूलकपत्रम् इत्यादीनि पत्राणि अपि औपचारिकपत्राणि एवं कथ्यन्ते।

अनौपचारिकपत्रस्य अपरनाम व्यक्तिगतपत्रमपि भवति । स्वात्मीयजनानां कृते यत् पत्रं लिख्यते तत् अनौपचारिकपत्रं, व्यक्तिगतपत्रं वा कथ्यते।

 

(यह समय संचार क्षेत्र में उन्नति का समय है। अर्थात आधुनिक समय में संचार क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति हुई है। विचारों के आदान-प्रदान के लिए अनेक सञ्चार के साधन हैं, लेकिन आज भी पत्र विचारों को भेजने का मुख्य साधन है। पत्र का महत्व इससे जान सकते हैं कि इस सञ्चार के प्रगतिकाल में भी कार्यालय-सम्बन्धी सूचनाओं का आदान-प्रदान पत्र के माध्यम से ही अधिक होता है।

पत्र के माध्यम से हम सब अनेक वार्ता, व्यक्तिगत विचारों को, चिन्तन को, संवेदना और अनुभव को प्रकट करने में समर्थ हैं। व्यापार क्षेत्र में, कार्यालयों के कार्य-सन्दर्भ में, हम सब पत्रों का ही प्रयोग करते हैं। इसलिए इसे युग में भी पत्रे लिखने का विशेष महत्व है। पत्र दो प्रकार का होता है- 1. औपचारिक पत्र 2. अनौपचारिक पत्र। औपचारिक पत्र के अन्तर्गत सरकारी कार्यालयों से और व्यावसायिक संस्थाओं से किया गया पत्र व्यवहार आता है। शुभकामना पत्र, निमन्त्रण पत्र, शोकसंवेदना पत्र, समस्यामूलक पत्र आदि पत्र भी अनौपचारिक पत्र ही कहे जाते हैं । अनौपचारिक पत्र का दूसरा नाम व्यक्तिगत पत्र भी होता है। प्रियजनों (परिवार, मित्र आदि) के लिए जो पत्र लिखा जाता है वह अनौपचारिक पत्र अथवा व्यक्तिगत पत्र कहा जाता है।

प्राचीनकाल में तो पत्र-लेखन-प्रणाली आज की प्रणाली से पूर्णतया भिन्न थी । उस समय पत्र-लेखन का आरम्भ ‘स्वस्ति’ या ‘शुभमस्तु’ से किया जाता था और प्रथम वाक्य में लिखने के स्थान अर्थात् लेखक के स्थान की सूचना देते हुए पत्र-लेखक जहाँ और जिसके पास अपना पत्र भेजना चाहता था, उसका उल्लेख करते हुए अपना परिचय (नाम-निवासादि) लिखता था, परन्तु वर्तमान काल में हिन्दी भाषा में लिखे जाने वाले पत्रों के समान संस्कृत में भी पत्र लिखे जाने लगे हैं । हिन्दी पत्र-लेखन पर अंग्रेजी पत्र-लेखन का प्रभाव स्पष्ट है । अतः यहाँ जो भी पत्र दिए जाएँगे, वे नूतन शैली पर ही होंगे।

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