Hindi, asked by iqramalok2705, 2 months ago

Radha ki Vandana vyakhya

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श्री राधा वंदना

(राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत का काव्य रूपांतरण )

डॉ सुशील शर्मा

मुनि गण वन्दित शोक निकन्दित।

मुख मंदित मुस्कान प्रलंबित।

भानु नंदनी कृष्ण संगनी।

प्रभु मन बसती राजनंदनी।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ || 1 ||

वृक्ष वल्लरी मध्य विराजीं।

मंदित मुख मुस्कान से साजीं।

सुंदर पग कर कमल तुम्हारे।

सुख ,यश ,धर्म ,दान के धारे।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ || 2 ||

श्री नंदन को बस में करके

बाँकी भृकुटि में रस भरके

सहज कटाक्ष की बर्षा करतीं।

हे जगजननी दुःख को हरतीं।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ || 3 ||

चम्पा पुष्प दामनी दमके।

दीप्तमान आभा सी चमके।

शरदपूर्णिमा सी तुम उज्जवल।

शिशु समान तुम नेहल कोमल।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ ||4||

चिर यौवन आनंद मगन तुम।

प्रियतम की अनुराग अगन तुम।

प्रेम विलास कृष्ण आराधन।

रास प्रिय तुम अति मन भावन।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ ||5||

शृंगारों के भाव से भूषित।

धीरज रुपी हार विभूषित।

स्वर्ण कलश से अंगों वाली।

मधुर पयोधर धर मतवाली।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ || 6 ||

कमलनाल बाहें अति सुन्दर।

नीले चंचल नेत्र समंदर।

सबके मन को हरने वाले।

मुग्ध आप पर कान्हा काले।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ ||7 ||

स्वर्णमाल से कंठ सुशोभित।

मंगलसूत्र कंठ में शोभित।

रत्नों से आभूषित भेष।

दिव्य पुष्प संग सजे हैं केश।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ ||8 ||

पुष्पमाल शोभित सुंदर कटि।

मणिमय किंकण रत्नजटित नटि।

स्वर्णफूल झंकार प्रलम्ब।

स्वर्ण मेखलाकार नितम्ब।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता

मैं मूरख खल कामी हूँ ||9||

नूपुर चरण वेद उच्चारित।

मन्त्र सभी तुम पर आधारित।

स्वर्णलता से अंग लहरते।

नीलकांत तुम संग विचरते।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे।

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता।

मैं मूरख खल कामी हूँ ||10 ||

पारवती लक्ष्मी से वन्दित।

शारद इन्द्राणी से पूजित।

चरण कमल नख ध्यान जो धारित।

अष्टसिद्धि है उसको पारित।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे।

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता।

मैं मूरख खल कामी हूँ ||11 ||

सब यज्ञों की आप स्वामिनी।

स्वधा ,क्रिया सब देव दामनी।

तीनों वेद आपको गाते।

तीनों देव आपको ध्याते।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे।

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता।

मैं मूरख खल कामी हूँ ||12 ||

यह स्तुति माँ आप हितार्थ।

दया दृष्टि से माँ करो कृतार्थ।

नाश करो संचित कर्मों को।

प्रेरित हो मन सत्कर्मों को।

चरणों में माँ पड़ा हूँ तेरे।

भक्ति का अनुगामी हूँ।

कृपा कटाक्ष करो हे माता।

मैं मूरख खल कामी हूँ ||13 ||

शुक्ल पक्ष की अष्टमी ,बन राधा का भक्त।

पाठ करे जो नर सदा ,राधा पग अनुरक्त।

अष्ट सिद्धि उसके मिले ,कृष्ण बने अनुकूल।

राधा कृपा कटाक्ष से ,मिटते जीवन शूल।

माँ राधा के चरण में ,है अनुरक्त सुशील।

अभयदान माता करो ,दिव्य लेखनी शील।

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