Music, asked by sudhirsingh9074, 10 months ago

rag bhar ka pakad in music subject​

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Answered by thara56
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sorry bro !!!!! I can't understand your language

Answered by BrainlyPrince727
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राग बहार काफ़ी थाट से उत्पन्न षाड़व षाड़व जाति का राग है। अर्थात इसके आरोह तथा अवरोह से छे छे स्वरों का प्रयोग होता है। इसके गाने का समय रात्रि का दूसरा प्रहर है। गांधार और निषाद दोनो स्वर कोमल है लेकिन गायक अक्सर दोनों निषाद लेते हैं, शुद्ध निषाद का प्रयोग मध्य सप्तक में होता है और वह भी आरोह में। अन्य स्वर शुद्ध लगते हैं। कुछ गायक मध्यम के साथ विवादी के रूप में शुद्ध गंधार का भी थोड़ा सा प्रयोग करते हैं। लेकिन यह नियम नहीं, इसके अवरोह में कभी कभी ऋषभ और धैवत दोनो वर्जित करते हुए निधनिप ऐसा प्रयोग होता है पर यह आवश्यक नहीं। आरोह में गमपगमधनिसां इस प्रकार पंचम का वक्र प्रयोग भी होता है जिससे रागरंजकता बढ़ती है। इस राग का वादी स्वर षडज तथा संवादी स्वर मध्यम हैं। राग विस्तार मध्य व तार सप्तक में होने के कारण यह चंचल प्रकृति का राग माना जाता है। मपगम धनिसां इसकी मुख्य पकड़ है। यह राग बाकी अनेक रागों के साथ मिलाकर भी गाया जाता हैं। जिस राग के साथ उसे मिश्रित किया जाता है उसे उस राग के साथ संयुक्त नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए बागेश्री राग में इसे मिश्र करने से बागेश्री-बहार, वसंत-बहार, भैरव-बहार इत्यादि। परंतु मिश्रण का एक नियम हे कि जिसमें बहार मिश्र किया जाय वह राग शुद्ध मध्यम या पंचम में होना चाहिए क्योंकि बहार का मिश्रण शुद्ध मध्यम से ही शुरू होता है।

Thanks

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