Hindi, asked by golu67788, 15 days ago

रघुवीर सहाय की दो अर्थ का भय का केंद्रीय भाव लिखिए​

Answers

Answered by rohitrathore66681
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Answer:

shidh kijiye ki raghuvir nai kavita ke sashakt hakttear hai

Explanation:

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Answered by mithu456
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उत्तर:सहाय जी अपनी कविता में एक शुष्क शोक गीत रचते हैं, जो व्यक्ति और समाज दोनों से निरपेक्ष होता है। मंगलेश डबराल के शोकगीतों में एक लय, एक तरलता होती है, जो उसे करुणा में परिवर्तित कर देती है। उनका आधार स्मृतियाँ हैं।

केंद्रीय भाव :वे व्यापक सामाजिक संदर्भों के निरीक्षण, अनुभव और बोध को कविता में व्यक्त करते हैं । रघुवीर सहाय ने काव्य-रचना में अपनी पत्रकार - दृष्टि का सर्जनात्मक उपयोग किया है। वे मानते कि अखबार की खबर के भीतर दबी और छिपी हुई ऐसी अनेक खबरें होती हैं, जिनमें मानवीय पीड़ा छिपी रह जाती है।उनकी ये कविताएँ उनके काव्य - विकास के विविध सोपान हैं। समय और स्थितियों के अनुसार रचित उनकी ये कालजयी कविताएँ उनके भावप्रवण एवं करूणा - कलित व्यक्त्वि को सहज ही उद्भासित करती हैं।

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