रह भरोसे भाग्य के दुःख भोग पछताते नहीं.full translation in hindi
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प्रस्तुत पंक्ति में कवि का यह आशय है कि कर्मवीर व्यक्ति भाग्य के भरोसे नहीं बैठते और न ही उन्हें कभी दुख होता है और न ही कभी वे असफल होते है और न ही कभी वे पछताते हैं।।।
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