रहि चकि चित्रलिखी सी' पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
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'रहि चकि चित्रलिखी सी' पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट है-
Explanation:
'रहि चकि चित्रलिखी सी' पंक्ति में पुत्रवियोगिनी माता का दुख दुष्टिगोचर होता है। राम से हुए वियोग के कारण माता कौशल्या दुखी और आहत हैं। माता कौशल्या राम की वस्तुओं को देख कर स्वयं को बहलाने का प्रयास करती हैं। पर उनका दुःख कम होने की जगह और बढ़ता चला जाता है।
परन्तु जब राम के वनवासी जीवन का स्मरण करती हैं, तो हैरानी से भरी हुयी चित्र के समान स्थिर हो जाती हैं। जिस प्रकार चित्र में बनी स्त्री का कोई भी हाव भाव नहीं होता, उसी प्रकार राम के वियोग में माता कौशल्या भी उनकी दुखद अवस्था का भान करके चकित और स्तब्ध हो जाती हैं, तथा चित्र के समान स्थिर हो जाती हैं।
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