रहिए लटपट काटि दिन, बरु घामे माँ सोय । छाँह न बाकी बैठिए, जो तरु पतरो होय ॥ जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा देहैं । जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहैं । कह ’गिरिधर कविराय’ छाँह मोटे की गहिए । पाती सब झरि जायँ, तऊ छाया में रहिए ।
१. कवि के अनुसार हमें किस प्रकार के पेड़ की छाया में नही बैठना चाहिए और क्यों ?
२. कवि के अनुसार एक दिन कौन धोखा देगा तथा कब? उससे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
३. इस कुण्डलियाँ द्वारा कवि हमे क्या शिक्षा देना चाहते हैं ?
Answers
Answered by
1
djejdu€÷&=*"£÷££$€&÷&$*&4&:&×*=*$&×&=£$&×&2&&"€£38:€&÷&=£:£÷&,2&%€÷&$€€3*$£%8/*'rju4hhdu28f8vu3uh48vieut8cu3hh3ufdje7t74udu2U3udu3u&4&$€2&^8$€2€€/8%€2€$73€$€=€_'hcjxjsuieaiwosoo1ls€÷€#€3€#8€4€'hwhehwhge€=€$€73€$2€%73€#&3#37dy3hhf
Similar questions