रहे हैं। वैज्ञानिक उन्नति के कारण मानव सभ्यता की दीवार इतनी ऊंची हो गई है कि अब वह अपने ही बोझ से लड़खड़ाने लगो है। भौतिक उन्नति में मनुष्य के भौतिक अस्तित्व पर हो प्रश्न चिह्न लगा दिया है। यद्यपि विज्ञान की सहायता से मनुष्य वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा है, सुख समृद्धि के सभी साधन उसके अधीन हो गए हैं, यह स्वयं भी स्वतंत्र नहीं रहा। सवारों को हो सोजिए। आपके पास कार है, जहाँ चाह पहुंच जाएंगे। परंतु यदि कार खराब हो गई, तोलाइए मैकेनिक को। हैन आप उसके अधीन? बिजली से कमरा ठंडा कर लिया है। दिल्ली में हो शिमला का आनंद ले रहे हैं, परंतु बिजली फेल हो गई, तो आपका जीवन नरक बन जाएगा। दूसरी ओर आज शहरों में सांस लेना दूभर हो गया है। हर जगह शोर गंदगी और बीमारियों का साम्राज्य-सा फैल गया है। कृत्रिम खादों, दवाइयों के कारण भूमि से उत्पन्न अन्न फल तक दूषित हो गए हैं। (क) भौतिक उन्नति ने प्रश्न चिह्न लगा दिया है (i) मनुष्य के आध्यात्मिक अस्तित्व पर (iii) मनुष्य के बौद्धिक अस्तित्व पर 2 (ख) वैभवपूर्ण जीवन होते हुए भी मनुष्य स्वतंत्र क्यों नहीं रहा? (1) दूसरों पर निर्भर रहने के कारण, (iii) उपायों के अधीन होने के कारण 3 (ग) आज शहरों में साँस लेना क्यों दूभर हो गया है? (1) महंगाई के कारण (12) शोर गंदगी और बीमारी के कारण (ii) मनुष्य के भौतिक अस्तित्व पर (iv) मनुष्य के सांस्कृतिक अस्तित्व पर (id) अपनी मूर्खता के कारण (iv) अत्यधिक भावुकता के कारण (ii) आवास व्यवस्था के कारण (iv) वर्षा की कमी के कारण
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iv मनुष्य के सास्कृतिक अस्तित्व पर
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