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रहीम अपने नाम के अनुरूप दयालु प्रकृति के थे। इनका स्वभाव अत्यन्त कोमल था।
हुए भी इनमें गर्व नहीं आ पाया था। ये योग्यता के पारखी थे। मुसलमान होते हुए भी ये
थे। ये बड़े दानी, उदार और सहृदय थे।) इन्हें संसार का बड़ा अनुभव था। अकबर
त जहाँगीर के सिंहासन पर बैठते ही इन्हें चित्रकूट में नजरबन्द कर दिया गया। ऐसी
ण अपनी पुत्री के विवाह के लिए धन लेने इनके पास पहुँचा। उसकी दयनीय स्थिा
भर आया और उन्होंने एक दोहा लिखकर रीवा-नरेश के पास भेजा-
कबर के संरक्षक थे। कुछ कारणों से अकबर बैरम खाँ से रुष्ट हो गया था और उसने बैरम खाँ
नगर) में हुआ था। इनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। इनके पिता बैरम खाँ मुगल-समा
दोह का आरोप लगाकर उन्हें हज करने के लिए मक्का भेज दिया, लेकिन मार्ग में ही उसके
रिक खाँ ने उसकी हत्या कर दी। बैरम खाँ की मृत्यु के उपरान्त अकबर ने रहीम और उनकी मा
बने पास बुला लिया और इनकी शिक्षा का समुचित प्रबन्ध किया।
प्रतिभा सम्पन्न रहीम ने हिन्दी, संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि भाषाओं का अच्छा
लिया था। इनकी योग्यता को देखते हुए अकबर ने इन्हें अपने दरबार के नवरत्नों में स्थान
नसेनापति के पद पर नियुक्त किया गया और शहजादा सलीम की शिक्षा का भार भी सौंपा
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आदि तो वह शब्द विशेषण है।
(3)रेखांकित शब्द वाक्य में जो क्रिया है उसकी विशेषता बताता है तो वह क्रिया विशेषण है। जैसे कि- क्रिया कब हो रही है (कल, अभी, दिनभर), क्रिया कैसे हो रही है (चुपचाप, अवश्य, तेजी से), क्रिया कहाँ हो रही है (अंदर, ऊपर, आसपास), क्रिया कितनी मात्रा में हो रही है (कम, पर्याप्त, ज्यादा)
(4)अगर रेखांकित शब्द किसी दो या अधिक संज्ञा और सर्वनाम के बीच का संबंध दर्शाता है तो वह संबंधबोधक अव्यय है। जैसे:- के पास, के ऊपर, से दूर, के कारण, के लिए, की ओर
(5)रेखांकित शब्द किसी दो वाक्यों के बीच का संबंध दर्शाता है तो वह समुच्चयबोधक अव्यय है। जैसे- और, अतएव, इसलिए, लेकिन
(6)अ
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