रहिम के 4 दोहे ....................………....
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रहीम दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित Rahim Das Ke Dohe in Hindi Meaning
रहीम दास के दोहे अर्थ सहित Rahim Das Ke Dohe in Hindi Meaning
February 26, 2018 by बिजय कुमार 8 Comments
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रहीम दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित Rahim Das Ke Dohe in Hindi Meaning (Class 7 और 9)
रहीम दास, मुग़ल सम्राट अकबर के शासन काल के एक महान कवी थे। उनका पूरा नाम नवाब अब्दुल रहीम खान-ई-खाना था। वो अकबर की सभा के महत्वपूर्ण दीवान में से एक थे जिन्हें नवरत्न भी कहा जाता था। रहीम अपने दोहों और ज्योतिष पर लिखे गए किताबों के कारण मशहूर
- तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति
- थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात ।
- धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥
- जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- ‘रहिमन’ मछरी नीर को तऊ न छाँड़ति छोह॥
- कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
- बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥
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