Hindi, asked by khandelwalyash381, 5 months ago

रहीम के अनुसार सूजन किस कार्य हेतु संपत्ति का संचय करते हैं​

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Answered by Anonymous
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Explanation:paha le hap Ka javab or ye Raha ok

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।

कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहि सुजान।।1।।

अर्थ : कविवर रहीम कहते हैं कि जिसत तर पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जनलोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।

तन रहीम है कर्म बस, मन राखो ओहि ओर।

जल में उल्टी नाव ज्यों, खैंचत गुन के जोर।।2।।

अर्थ : कविवर रहीम कहते हैं कि अपना शरीर तो कर्म के फल के नियंत्रण में है पर मन को भगवान की भक्ति में लीन रखा जा सकता है। जैसे जल में उल्टी नाव को रस्सी से खींचा जाता है वैसे ही मन को भी खींचना चाहिए।

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