रहीम के नीतिपरक दोहे समाज के लिए आज भी प्रेरणा स्त्रोत है पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए
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इस दोहे का अर्थ है कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिए. जिस तरह से पानी के बिना आटे का और चमक के बिना मोती का कोई महत्व नहीं रह जाता है. उसी तरह मनुष्य भी बिना विनम्रता के आभाहीन हो जाता है और उसके मूल्यों का पतन हो जाता है. रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
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