Hindi, asked by mack1234, 9 months ago

रहीम के पाँच दोहे बिना अर्थ के​

Answers

Answered by brajeshkumar2254
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Answer:

बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।

औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥1॥

बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।

औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥2॥

दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं।

जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥3॥

रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।

काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥4॥

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।

टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥5॥

Answered by akshatsingh59
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Answer:

1- मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय ।

फट जाये तो न मिले, कोटिन करो उपाय ।।

2-जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।

चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग ।।

3-रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार।

रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार ।।

4-जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह ।

धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह ।।

5-खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय।

रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय।।

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