रहीम के दोहे चैप्टर के अतिरिक्त पाठ्य पुस्तक से नहीं कोई और दूसरी दोहे का ड्राइंग क्रिएटिव बैनर में बनाकर भेजिए प्लीज सेंड मी आई विल मार्केट ब्रिलियस एंड गिव यू मैनी लाइक्स
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Explanation:
शब्दार्थ
1.
रहिमन - रहीम
नर – मनुष्य
कहूँ – कहीं
माँगन – माँगना
जाँहि – जाना
उनते – उनसे
मुए – मरे हुए
जिन – जिनका
मुख – मुँह
निकसत – निकलना
नाँहि – नहीं
प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कह रहे हैं कि वे नर मृत समान हैं जो किसी के सामने हाथ फैलाते हैं पर उनसे भी पहले वे मनुष्य मृत समान हो जाते हैं जो देने से पहले ही मना कर देते हैं।
2.
लौं – तक
बोलत – बोलना
परत – पड़ना
काक – कौआ
पिक – कोयल
रितु – ऋतु
माँहि – में
रहीम इस दोहे में हमें यह सीख दे रहें हैं कि हमारे आस-पास रहने वाले सभी लोग एक-से दिखते हैं परंतु जब हम किसी विपत्ति में पड़ते हैं तो उनके व्यवहार से उनका असली चेहरा हमारे सामने आ जाता है, ठीक उसी प्रकार कौआ और कोयल भी एक जैसे दिखते हैं परंतु वसंत के मौसम में कोयल की कूक और कौए की काँव-काँव से उन दोनों में निहित अंतर स्पष्ट हो जाता है।
3.
तरुवर – पेड़
खात – खाना
सरवर – सरोवर
पियहि – पीना
पान - पानी
कहि – कहना
पर – दूसरा
काज – काम
हित – के लिए, भलाई
संचहि – संचय करना
सुजान – सज्जन
रहीम जी का मानना है कि जिस प्रकार पेड़ अपना फल खुद नहीं खाता, नदी अपना जल खुद नहीं पीती उसी प्रकार सज्जन भी धन का संचय ज़रूरतमंदों की मदद करने के लिए करते हैं।
4.
सगे – अपने
बनत – बनना
बहु – बहुत
रीत – संबंध
बिपति – विपत्ति, कष्ट
कसौटी – परीक्षा
जे – जो
कसे – खरा
सो – वही
साँचे - सच्चा
मीत – मित्र
रहीम जी सच्चे दोस्तों की पहचान करने का तरीका बताते हुए कह रहे हैं कि जब हमारे पास बहुत धन-संपत्ति होती है तो दूर-दूर के रिश्ते बन जाते हैं पर हमारा सच्चा मित्र और सच्चे संबंधी वे ही होते हैं जो संकट के समय में हमारा साथ न छोड़ें।
5.
बिथा – व्यथा, परेशानी
राखो – रखो
गोय – छिपाकर
सुनि – सुनकर
अठिलैहें – इतराना
बाँटि -बाँटना
कोई – कोई
रहीम जी कहना है कि हमें अपने मन की व्यथा को हर किसी के सामने प्रगट नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में वे हमारी समस्या का समाधान न करके उसका प्रचार कर देंगे और मन-ही मन ये सोचकर खुश होंगे कि ठीक हुआ हम इस समस्या से बच गए।
6.
देखि – देखना
बड़ेन – बड़े को
लघु – छोटा
डारि – त्याग
आवे – आए
सुई – Needle
कहा – क्या
तलवारि – तलवार
रहीम जी इस दोहे में समानता की बात बताते हुए कह रहे हैं हमें बड़ों को देखकर छोटों का साथ नहीं छोड़ देना चाहिए । इस दुनिया में बड़े-छोटे सभी अपनी-अपनी जगह में महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसीलिए कहा भी गया है कि कपड़े सीने के लिए हमें सुई की आवश्यकता पड़ती है और युद्ध करने के लिए तलवार की परंतु विपरीत स्थिति में ये दोनों निरर्थक हैं।