रहीम के दोहो में किसी एक दोहो का भाव अपने शब्दों में लिखिये
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Answer:"जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं। गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं।”
अर्थ:-रहीम अपने दोहें में कहते हैं कि किसी भी बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन कम नहीं होता, क्योंकि गिरिधर को कान्हा कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती।
“जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।”
अर्थ:-रहीम जी ने कहा की जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता हैं, उन लोगों को बुरी संगती भी बिगाड़ नहीं पाती, जैसे जहरीले साप सुगंधित चन्दन के वृक्ष को लिपटे रहने पर भी उस पर कोई प्रभाव नहीं दाल पाते।
रहिमन धागा प्रेम का, मत टोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय”
अर्थ:
रहीम ने कहा कि प्यार का नाता नाजुक होता हैं, इसे तोड़ना उचित नहीं होता। अगर ये धागा एक बार टूट जाता हैं तो फिर इसे मिलाना मुश्किल होता हैं, और यदि मिल भी जाये तो टूटे हुए धागों के बीच गांठ पड़ जाती हैं।
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