Hindi, asked by nanndy, 11 months ago

रहीम के दोहों से हमें क्या संदेश मिलता है?

Answers

Answered by RakeshPateL555
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\huge\mathfrak\blue{hello\:frd}

\bf{here..is..ur.. answer}

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<b>कबीर एक व्यक्ति होने के बजाय व्यक्तित्व हैं. कबीर जो न हिन्दू हैं और न मुसलमान. कबीर जो दुनियावी होने के बावजूद जाति-धर्म से ऊपर हैं. दुनिया को आईना दिखाते कबीर. समाज में व्याप्त कुरीतियों पर कुठाराघात करते कबीर. एक ऐसी शख्सियत जिस पर हिन्दू और मुसलमान दोनों दावा करते हैं और वह हर तरह के जात-पात से ऊपर उठ गया है. 

जब पूरी दुनिया के लोग मोक्ष के लिए काशी की ओर जाते हैं तो कबीर काशी छोड़ कर मगहर की ओर चले जाते हैं. एक जुलाहे का काम करने वाला शख्स जिस पर न जाने कितने ही लोग डॉक्टरेट कर चुके हैं..

<b>तो इसी क्रम में हम आपको रू-ब-रू करा रहे हैं कबीर के सदाबहार दोहों से, जिन्हें सुन कर जीने की सही राह समझ में आती है और हर मुश्क‍िल आसान लगती है.

&lt;b&gt;दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय<br />जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय<br />हम सभी परेशानियों में फंसने के बाद ही ईश्वर को याद करते हैं. सुख में कोई याद नहीं करता. जो यदि सुख में याद किया जाएगा तो फिर परेशानी क्यों आएगी.

&lt;b&gt;बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय<br />जो मन खोजा आपना, तो मुझसे बुरा न कोय<br />जब मैं पूरी दुनिया में खराब और बुरे लोगों को देखने निकला तो मुझे कोई बुरा नहीं मिला. और जो मैंने खुद के भीतर खोजने की कोशिश की तो मुझसे बुरा कोई नहीं मिला.

&lt;b&gt;बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर<br />पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर<br />इस दोहे के माध्यम से कबीर कहना चाहते हैं कि सिर्फ बड़ा होने से कुछ नहीं होता. बड़ा होने के लिए विनम्रता जरूरी गुण है. जिस प्रकार खजूर का पेड़ इतना ऊंचा होने के बावजूद न पंथी को छाया दे सकता है और न ही उसके फल ही आसानी से तोड़े जा सकते हैं.

&lt;b&gt;काल करे सो आज कर, आज करे सो अब<br />पल में परलय होएगी, बहुरी करोगे कब<br />कल का काम आज ही खत्म करें और आज का काम अभी ही खत्म करें. ऐसा न हो कि प्रलय आ जाए और सब-कुछ खत्म हो जाए और तुम कुछ न कर पाओ.

&lt;b&gt;ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोए<br />अपना तन शीतल करे, औरन को सुख होए<br />हमेशा ऐसी बोली और भाषा बोलिए कि उससे आपका अहम न बोले. आप खुद भी सुकून से रहें और दूसरे भी सुखी रहें.

&lt;b&gt;धीरे-धीरे रे मन, धीरे सब-कुछ होए<br />माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए<br />दुनिया में सारी चीजें अपनी रफ्तार से घटती हैं, हड़बड़ाहट से कुछ नहीं होता. माली पूरे साल पौधे को सींचता है और समय आने पर ही फल फलते हैं.

&lt;b&gt;साईं इतनी दीजिए, जा में कुटुंब समाए<br />मैं भी भूखा न रहूं, साधू न भूखा जाए<br />यहां कबीर ईश्वर से सिर्फ उतना ही मांगते हैं जिसमें पूरा परिवार का खर्च चल जाए. न कम और न ज्यादा. कि वे भी भूखे न रहें और दरवाजे पर आया कोई साधू-संत भी भूखा न लौटे.

&lt;b&gt;जैसे तिल में तेल है, ज्यों चकमक में आग<br />तेरा साईं तुझ में है, तू जाग सके तो जाग<br />जिस तरह तिल में तेल होने और चकमक में आग होने के बाद दिखलाई नहीं पड़ता. ठीक उसी तरह ईश्वर को खुद के भीतर खोजने की जरूरत है. बाहर खोजने पर सिर्फ निराशा हाथ लगेगी.

&lt;b&gt;पोथि पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोए<br />ढाई आखर प्रेम के, पढ़ा सो पंडित होए<br />कबीर कहते हैं कि किताबें पढ़ कर दुनिया में कोई भी ज्ञानी नहीं बना है. बल्कि जो प्रेम को जान गया है वही दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञानी है.

&lt;b&gt;चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए<br />वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए<br />चिंता रूपी चोर सबसे खतरनाक होता है, जो कलेजे में दर्द उठाता है. इस दर्द की दवा किसी भी चिकित्सक के पास नहीं होती.

&lt;b&gt;माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर<br />आशा, तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर<br />इच्छाएं कभी नहीं मरतीं और दिल कभी नहीं भरता, सिर्फ शरीर का ही अंत होता है. उम्मीद और किसी चीज की चाहत हमेशा जीवित रहते हैं.

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\bf{By-RakeshPatel}

\sf{I\: Hope\: It\: Is\: Helpful\: For\: you!}

\huge\mathfrak\red{thank\:u}
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Answered by ishan0023
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Answer:

YE HAI ANS

Explanation:रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं।

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