रहीम ने प्रेम के संदर्भ में क्या कहा है?
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रहीम रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥ प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है जिसे कभी भी झटके से तोड़ नहीं देना चाहिए बल्कि उसकी हिफाजत करनी चाहिए।
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