रहिम ने विपत्ति की सच्चे मित्र की कसौटी क्या माना है
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✍️रहीम रहीम कवि एक बहुत ही बड़े ज्ञानी थे ।
✍️ उनके दोनों में बहुत ही विचित्र और बहुत ही ज्यादा भाव छुपे हुए रहते थे।
✍️ उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से सारे संसार को जीवन जीने की कला और सफलता को छूने की और हमेशा खुश रहने की बुलंदियों को पाने की तरीकों को बताया है।
✍️ रहीम कवि अपने दोहे के माध्यम से विपत्ति को सच्चे मित्र की कसौटी मानते हैं।
✍️ अर्थात रहीम कवि कहते हैं कि जब विपत्ति आती है तभी एक सच्चे मित्र की पहचान होती है।
✍️ मित्र आपके विपत्ति में भी आपके साथ रहता है, आपके दुख का सहभागी बनता है और हर पल आपकी देख भाल करता है वहीं सच्चा मित्र है।
✍️ जो मित्र केवल आपके सुख की घड़ी में साथ रहता और दुख तथा विपत्ति आपका साथ छोड़ देता वो कभी भी मित्र नहीं सकता।
✍️ इसलिए सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति समय ही होती है।
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Explanation:
कवि ने सच्चे प्रेमी की यह कसौटी बताई है कि जब दो प्रेमी मिलते है तब दुख रूपी सरा विश सुख रूपी अमृत में बदल जाता है ।
अर्थात जब ईश्वर और सच्चा भक्त मिलते है ।
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