रहीम सागर की बुराई करने के पक्ष में क्यों नहीं है
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) कवि प्रेम रूपी धागा न तोड़ने की बात कहता है कि एक बार यह टूट जाए तो सामान्य स्थिति नहीं आ पाती है। उसे जोड़ भी दिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है क्योंकि इसके टूटने पर अविश्वास और संदेह का भाव आ जाता है।
(ख) कवि का कहना है कि अपना दुख किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए क्योंकि सब लोग सुनकर हँस लेते हैं मज़ाक कर लेते हैं परन्तु उसे बाँटता कोई भी नहीं है।
(ग) इन पंक्तियों द्वारा कवि एक ईश्वर की आराधना पर ज़ोर देते हैं। इसके समर्थन में कवि वृक्ष की जड़ का उदाहरण देते हैं कि जड़ को सींचने से पूरे पेड़ पर पर्याप्त प्रभाव हो जाता है। अलग-अलग फल, फूल, पत्ते सींचने की आवश्यकता नहीं होती।
(घ) कवि कहता है कि अच्छी वस्तु या ज्ञान थोड़ा सा ही पर्याप्त होता है। जिस प्रकार दोहे में अक्षर बहुत कम होते हैं परन्तु उसके अर्थ में गम्भीरता होती है, उसी प्रकार थोड़ा-सा ज्ञान भी अच्छा परिणाम देता है।