रहिमन नीचन संग बसि, लागत कलंक न काहि।
दूध कलारी कर गहे, मद समुझै सब ताहि।।
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रहिमन नीचन संग बसि , लागत कलंक ना काहि |
दूध कलारी कर गहे , मद समुझे सब ताहि |
अर्थ –
नीच लोगों का साथ करने से भला कौन कलंकित नहीं होता | कलारिन ( शराब बेचने वाली ) के हाथ में यदि दूध भी हो तब भी लोग उसे शराब ही समझते हैं |
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