Hindi, asked by ajay6971, 7 months ago

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनी अठिलैहैं लोग सब, बटि न लैहैं कोई।
रहीम जी के प्रस्तुत दोहे का प्रसंग सहित भाव स्पष्ट करें।
(50 से 60 शब्दों में उत्तर दें​

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Answered by Anonymous
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Answer:

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय. अर्थ : रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.

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