Hindi, asked by sarbjitnirmal, 9 days ago

रहिमन निज मन की विधा मन ही राखो गोय। सुनि अठिलेहे लोग सब खोट न लेहे कोय ॥प्रस्तुत दोहे की भाषा है l​

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Answered by shahusneha269
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Explanation:

रहिमन निज मन की, बिथा, मन ही राखो गोय। सुनि अठिलैह लोग सब, बाटि न लैहैं न कोय।। कविवर रहीम कहते हैं कि मन की व्यथा अपने मन में ही रखें उतना ही अच्छा क्योंकि लोग दूसरे का कष्ट सुनकर उसका उपहास उड़ाते हैं। यहां कोई किसी की सहायता करने वाला कोई नहीं है-न ही कोई मार्ग बताने वाला है।

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