रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥
टूटे सुजन मनाइए, जो टूटै सौ बार।
रहिमन फिरि-फिर पोइए, टूटे मुक्ताहार ।
यह रहीम निज संग लै, जनमत जगत न कोइ।
बैर, प्रीति, अभ्यास, जस, होत-होत ही होइ॥
रहीम
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I don't know .
I am very very sorry
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